नई दिल्ली. भारत में चीता को फिर से बसाने के लिए बनाई गई कार्य योजना के तहत पांच साल में देश के कई नेशनल पार्क में 50 चीतों को फिर से बसाया जाएगा. भारत एक बार फिर दुनिया के सबसे तेज रफ्तार वाले जानवर चीता का घर बनने जा रहा है. भारत सरकार ने चीतों को फिर से देश के जंगलों में लाने का काम किया है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खुद चीतों को देश में लाने और बसाने में निजी रुचि दिखा रहे हैं.
चीता एकमात्र बड़ा मांसाहारी जानवर है जो भारत से पूरी तरह से खत्म हो गया है. इसका मुख्य कारण ज्यादा शिकार और चीतों के निवास स्थान को हुआ नुकसान था. बहरहाल देश में चीतों को फिर से लाना जंगलों के पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) के लिए एक वरदान साबित हो सकता है. चीते खुले मैदानों में रहते हैं, उनका आवास मुख्य रूप से वहां है, जहां उनके शिकार रहते हैं. घास के मैदान, झाड़ियां और खुले जंगल, अर्ध-शुष्क वातावरण और थोड़ा ज्यादा तापमान उनके लिए सही होता है.
इकोसिस्टम के लिए एक वरदान
चीतों को बचाने के लिए न केवल उनके शिकार करने के आधार को बचाना होगा, जिसमें कुछ खतरे में पड़ी वाली प्रजातियां शामिल हैं, बल्कि घास के मैदानों की अन्य लुप्तप्राय प्रजातियों और खुले वनों के पारिस्थितिकी तंत्र को भी बचाना होगा. जिनमें से कुछ अब खत्म होने के कगार पर हैं. चीतों को वापस लाने से देश में खुले जंगलों को बचाने के काम को भी मजबूती मिलेगी. यह भी देखा गया है कि बड़े मांसाहारी जानवरों में मानव हितों के साथ संघर्ष चीतों में सबसे कम है. वे मनुष्यों के लिए खतरा नहीं हैं और बड़े पशुओं पर भी हमला नहीं करते हैं.