बिलकीस बानो गैंगरेप और सामूहिक हत्याकांड मामले में सजा काट रहे थे, जिन्हें गुजरात की सरकार ने सजामाफी की नीति (remission policy) के तहत 15 अगस्त को रिहा कर दिया.
राहुल गांधी ने इन जघन्य अपराधियों की रिहाई पर सवाल उठाते हुए ट्विटर पर लिखा है, “5 महीने की गर्भवती महिला से बलात्कार और उनकी 3 साल की बच्ची की हत्या करने वालों को ‘आज़ादी के अमृत महोत्सव’ के दौरान रिहा किया गया. नारी शक्ति की झूठी बातें करने वाले देश की महिलाओं को क्या संदेश दे रहे हैं? प्रधानमंत्री जी, पूरा देश आपकी कथनी और करनी में अंतर देख रहा है.”
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी गैंगरेप और नरसंहार करने वाले अपराधियों की रिहाई पर सवाल उठाया है. प्रियंका गांधी ने ट्विटर पर लिखा है, “एक गर्भवती महिला के साथ गैंगरेप व उसकी बच्ची की हत्या के अपराध में सभी अदालतों से सजा पा चुके अपराधियों की भाजपा सरकार द्वारा रिहाई, कैमरे के सामने स्वागत- क्या अन्याय व संवेदनहीनता की पराकाष्ठा नहीं है? @narendramodi जी स्त्री का सम्मान केवल भाषणों के लिए? महिलाएं पूछ रही हैं.”
दरअसल गुजरात सरकार ने जिन 11 अपराधियों को अपनी रिमीशन पॉलिसी के तहत 15 अगस्त को रिहा किया है, उन्हें 2002 के गुजरात दंगों के दौरान गर्भवती बिलकीस बानो का बर्बरतापूर्वक गैंगरेप करने और उनकी 3 साल की बच्ची समेत परिवार के सात सदस्यों के नरसंहार का दोषी पाए जाने पर उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. ये सभी अपराधी गोधरा जेल से बाहर आए तो उनका फूल मालाएं पहनाकर और मिठाई खिलाकर स्वागत किया गया. इसके वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुए हैं. इस घटना पर देश भर में सोशल मीडिया और महिला संगठनों की तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है. गैंगरेप पीड़िता और उसके पति ने भी इन अपराधियों की रिहाई पर हैरानी और दुख जाहिर किया है.