May 19, 2024
कोरोना का पता अब साधारण खून जांच से लगाया जा सकता है.
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कोरोना का पता अब साधारण खून जांच से लगाया जा सकता है.


फ्लोरिडा, एएनआइ : Blood Clots कोरोना संक्रमण के कारण होने वाली कई स्वास्थ्य समस्याओं के निदान को लेकर विज्ञानी लगातार प्रयासरत हैं। एक नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया है कि उन्होंने कोविड-19 के कारण गंभीर रूप से बीमार मरीजों की त्वचा में छोटी रक्त वाहिकाओं में थक्कों की पहचान करने के लिए इन्वेसिव परीक्षण का सहारा लिया है। फेफड़ों में गंभीर संक्रमण या सामान्य कोरोना संक्रमण से ग्रसित मरीजों में अक्सर त्वचा में ऐसे रक्त के थक्के नजर नहीं आते। इन कोशिकाओं को निकालने के लिए स्किन बायोप्सी की प्रक्रिया जरूरी है। विज्ञानियों ने बताया कि कोरोना के कारण टिश्यू (ऊत्तकों) को होने वाली क्षति का आकलन स्किन बायोप्सी से संभव है।

इस अध्ययन से पूर्व अमेरिकन जर्नल आफ पैथोलाजी में प्रकाशित शोध में बताया गया कि तंत्रिका, गुर्दे या फेफड़े की बायोप्सी जैसी लंबी प्रक्रिया की आवश्यकता होती थी। अमेरिका स्थित वेइल कार्नेल मेडिसिन इंस्टीट्यूट से जुड़े शोध के प्रमुख लेखक जेफरी लारेंस ने बताया कि हम यह पहचानने वाले पहले शोध समूह हैं जिसने पाया कि कोरोना के कारण फेफड़े की बीमारी अन्य गंभीर श्वसन संक्रमण से अलग थी।
शोधकर्ताओं ने 15 रोगियों से सामान्य दिखने वाली त्वचा के चार मिलीमीटर बायोप्सी नमूने एकत्रित किए। ये मरीज कोरोना संक्रमण के कारण गंभीर रूप से बीमार थे। इसके अलावा छह ऐसे रोगियों के नमूने लिए गए, जिनमें हल्के से मध्यम रोग के लक्षण जैसे बुखार, ठंड लगना, खांसी या सांस की तकलीफ थी। शोध के लिए विज्ञानियों ने कोरोना काल से पहले अस्पताल में भर्ती ऐसे नौ मरीजों के बायोप्सी नमूने भी लिए, जिनकी गंभीर श्वसन या गुर्दे की बीमारी के कारण मौत हो गई थी। शोधकर्ताओं ने पाया कि गंभीर कोरोना संक्रमण वाले 15 में से 13 मरीजों में माइक्रोथ्रोम्बी या छोटे रक्त के थक्कों का पता चला है। वहीं शोध टीम ने देखा कि कोरोना काल से पहले बीमार होने वाले या हल्के या मध्यम संक्रमण के लक्षण वाले मरीजों की बायोप्सी में छोटे रक्त के थक्के नहीं पाया गया।