December 11, 2024
दिल्ली NCR को मिला 1000 बेड वाले हॉस्पिटल की सौगात, अमृतानंदमयी मिशन ट्रस्ट की ओर से किया जाएगा संचालन.
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दिल्ली NCR को मिला 1000 बेड वाले हॉस्पिटल की सौगात, अमृतानंदमयी मिशन ट्रस्ट की ओर से किया जाएगा संचालन.


फरीदाबाद दिल्ली-एनसीआर के लोगों के लिए बुधवार को अच्छी खबर आई। दिल्ली-एनसीआर के लोगों को सबसे बड़े अस्पताल की सौगात मिली है। औद्योगिक नगरी फरीदाबाद को बुधवार को अमृता अस्पताल (Amrita Hospital) के रूप में चिकित्सीय क्षेत्र की बड़ी सौगात मिली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) ने बुधवार को अमृता अस्पताल का उद्घाटन किया है।

अस्पताल का निर्माण माता अमृतानंदमयी मिशन ट्रस्ट की ओर से किया गया है हालांकि इसे निजी क्षेत्र का ही माना जाएगा। लेकिन ट्रस्ट की प्रमुख आध्यात्मिक गुरु मां अमृतानंमयी की जिस तरह से सेवा भावना वाली छवि है, उसे देखते हुए इस अस्पताल का लाभ आर्थिक रूप से कमजोर जरूरतमंदों को बेहद रियायती दर पर देने की बात भी अस्पताल से जुड़े अधिकारियों द्वारा की जा रही है। इसका स्वरूप क्या होगा, यह आने वाले समय में पता चलेगा। यह एशिया का सबसे बड़ा निजी अस्पताल है।

पांच साल में एक हजार हो जाएगी बेड की संख्या

अस्पताल के रेजीडेंट मेडिकल निदेशक डा.संजीव के सिंह के अनुसार अम्मा यानी माता अमृतानंदमयी के आशीर्वाद से दो साल बाद अस्पताल में बेड की संख्या बढ़कर 750 और पांच साल में एक हजार बेड की हो जाएगी। इसमें 534 क्रिटिकल केयर बेड भी शामिल होंगे। फिर चरण दर चरण इसमें विस्तार करते हुए 2600 बेड का अस्पताल जनता को समर्पित होगा।

 

दिल्ली-एनसीआर के लोगों को होगा सबसे ज्यादा फायदा

अस्पताल प्रबंधकों के दावे पर यकीन करें, तो यह देश की नहीं बल्कि पूरे एशिया में सबसे बड़ा और आधुनिक अस्पताल होगा। इस अस्पताल के शुरू होने से दिल्ली-एनसीआर के लोगों को सबसे ज्यादा फायदा होगा, जिन्हें जरूरत पड़ने पर आधुनिक उपचार संबंधी सुविधाएं मिलेंगी।

मेडिकल निदेशक संजीव सिंह के अनुसार ट्रस्ट की ओर से पहले से ही 11 बड़े अस्पताल संचालित हैं और इनमें कोच्चि में सबसे बड़ा 1350 बेड का अस्पताल है। अब यह 2600 बेड का अस्पताल होगा।

 

जरूरतमंदों को रियायती दर पर उपचार के बारे में मेडिकल निदेशक ने कहा कि देश भर में विभिन्न अस्पतालों में जरूरतमंदों व निर्धन वर्ग को निश्शुल्क चिकत्सीय सुविधाएं दी जाती हैं, पर उससे पहले इसकी जांच की जाती है कि संबंधित की पृष्ठभूमि क्या है और क्या वास्तव में उसको जरूरत है। अस्पताल का आंतरिक आडिट भी होता है, जिसमें डाक्टर क्या दवा लिखते हैं, इस पर भी नजर रखी जाती है।